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द गर्ल इन रूम 105

'हां, लेकिन शायद इसलिए कि उसने ईयररिंग्स के बारे में कोई बात नहीं की। इसके अलावा तो वो मुझको एक बढ़िया, बेल-मैनर्ड, फैमिली मैन ही लगा, मैंने कहा।

'जब कोई बहुत बढ़िया लगता है, तो आम तौर पर उसी में कुछ गड़बड़ निकलती है।' वेटर हमारा खाना लेकर आ गया। रोगन जोश, मेथ माज़ और सफ़ेद कोकर चट करने के चक्कर में सौरभ अगले दस मिनटों तक बात करना ही भूल गया। बाज़वां कश्मीर का ख़ास भोज होता है। एक अच्छे-खासे वाजवा

में तीन दर्जन तक डिशेस हो सकती हैं, जिनमें से अधिकतर धीमी आंच पर रात भर पकाई जाती हैं और कम्युनल स्टाइल में परोसी जाती हैं।

'तुम मेरी थ्योरी सुनना चाहोगे?" मैंने कहा। सौरभ ने इकार मारी। मैंने इसे ही उसकी हां समझ लिया।

'वह जारा को पसंद करता था, मैंने कहा।

"रोमांटिकली?"

"हो। जारा कश्मीर जाती है। फ़ैज़ से मिलती है। आर्मी के लिए ब्लॉग लिखती है

"ठीक है।"

।'

इसके बाद, एक सीन तो ये हो सकता है कि फैज़ को जारा पर क्रश था, लेकिन जारा की उसमें कोई

'लेकिन इससे ज्यादा चांसेस इसके हैं कि ज़ारा भी उसको पसंद करती थी और दोनों का अफेयर चला था, '

सौरभ ने कहा।

दिलचस्पी नहीं थी ।'

'क्या? लेकिन कैसे? वो रघु के साथ थी और फैज़ भी शादीशुदा था । " * जैसे कि लब, या कहूं कि लस्ट ऐसी चीज़ों की परवाह करती है? फैज़ एक गुड लुकिंग मैन है, भाई।

'जारा का अफेयर? और वो भी एक शादीशुदा आदमी के साथ?" मेरे भीतर टीस सी उठी। मुझे लगता था कि वो मेरे पास लौटकर इसलिए नहीं आई, क्योंकि वो रघु साथ खुश थी। लेकिन शायद उसकी जिंदगी में एक और आदमी के लिए जगह थी, केवल मैं नहीं।

के

"हां, क्योंकि मुझे लगता है कि केवल ऋश से कोई किसी का खून कर देने को उतावला नहीं हो जाता। अफ़ेयर से ज़रूर हो सकता है।"

मैंने कोई जवाब नहीं दिया। मैं अभी तक इसी विचार को हज़म करने की कोशिश कर रहा था कि ज़ारा रघु के साथ बेवफाई कर सकती थी।

"केशव, क्या हुआ?" सौरभ ने कहा। "हुं, कुछ नहीं। तो हम कहां पर थे?"

'जारा का कैप्टन फ़ैज़ के साथ अफेयर था, मैं इसको लेकर श्योर हूं।" 'तो तुम्हें लगता है कि अफ़ेयर के दौरान ही फ़ैज़ ने जारा को ईयररिंग्स दी होंगी?" 'एग्ज़ैक्टली, चीजें बदतर हो जाने से पहले।'

"कैसेट"" 'शायद ज़ारा अपने लिए और जगह चाहती थी और फैज की बीवी को इस अफेयर के बारे में बता धमकी देती होगी।'

"नहीं, जारा के पास रघु था। उनकी अभी-अभी एंगेजमेंट हुई थी।'

देने की

'फ़ेयर पॉईंट तो फिर यह हो सकता है कि जारा इस अफेयर को ख़त्म करना चाहती थी, लेकिन फैज़ ऐसा

नहीं चाहता था, सौरभ ने कहा।

"या फिर यह कि जारा का अफेयर था, लेकिन बाद में उसे इस पर अफसोस होता है और वो रघु लौट जाती है। कैप्टन को यह बर्दाश्त नहीं होता है।'

"हां, वो अपने आर्मी कैंप में बैठा रहता है, उदास, अकेला और नाराज़, सौरभ ने कहा। 'और तभी वो उसको मारने का फैसला ले लेता है।'

"फिरनी, साहब? कश्मीर में लोग फिरनी के लिए मरने-मारने को उतारू हो जाते हैं, वेटर ने मीठा परोसते

हुए कहा।

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